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Friday, February 20, 2009

ज़िन्दगी

पुलिस चौकी में घुसते ही दीप ने इधर उधर देखा। वो हवलदार राम सिंह को तलाश रहा था .राम सिंह ने ही उससे फ़ोन पर बात की थी और चौकी आने के लिए कहां था. जब कुछ न सूझा तो वो रिपोर्टिंग रूम में गया और नमस्ते करके बोला , जी मुझे राम सिंह से मिलना है .
क्या काम है ? सामने बैठे सिपाही ने रौबदार और कड़क आवाज़ में पूछा
जी मेरा नाम दीप है , उन्होंने मुझे बुलाया है , दीप बोला।
ओह ! तो तुम दीप हो, उसने पूछा ।
जी हाँ ! दीप बोला।
जाओ रूम नंबर ३ में जाओ । उसने कड़क आवाज़ में कहा.
दीप रूम नंबर ३ में गया। वहाँ दो सिपाही बैठे थे . दीप ने दोनों की नेम प्लेट देखी . एक का नाम बिजेंद्र और दूसरे का मोहन था.
क्या बात है ? बिजेंद्र ने पूछा ।
जी मुझे हवलदार राम सिंह से मिलना है , दीप बोला ।
अच्छा तो तू दीप है ? बिजेंद्र ने पूछा ।बैठ जा साहब नहा रहे हैं . वह बोला .
दीप बैठ गया ।
क्या बात है , तू अपनी बीवी को क्यों तंग करता है बे ? बिजेंद्र बोला ।
जी नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं , दीप बोला ।
तो क्या वो झूठ बोलती है ? अब तक चुप बैठे मोहन ने पूछा ।
जी मैं क्या बताऊँ ? दीप बोला ।
ये तेरा घर नहीं है बे, सच सच बता क्या बात है ? वरना बंद कर देंगे । बिजेंद्र ने कड़क कर हुकम सुनाया.
दीप कुछ देर चुप रहा और सोचने लगा कि कल क्या हुआ था ?कल क्या ये रोज़ की बात थी । उसकी बीवी पता नहीं उससे क्या चाहती थी ! सारी बातें चलचित्र की तरह उसकी आँखों के आगे घूमने लगी . शाम का वक़्त था . दीप रोज़ की तरह कंप्यूटर पर काम कर रहा था. अचानक उसकी बीवी पीछे आकर खड़ी हो गई . वो पहले ही बहुत तनाव में था . बहुत ज़रूरी अनुवाद करना था. बीवी के पीछे आते ही उसका पारा सातवे आसमान पर पहुँच गया. और गुस्से में बोला कि पीछे से हटो .
मगर वो कहाँ हटने वाली थी । दरअसल उसे कुछ काम तो था नहीं . खाना पीना और सोना जैसे इसी के लिए उसने इस धरती पर जन्म लिया था . जब भी दीप कंप्यूटर पर बैठता तो उसे लगता कि वो चैटिंग कर रहा है. हाँ ये सच है कि वो चैटिंग करता था मगर इस कारण उसने कभी अपना काम नहीं छोडा . वो चैटिंग करता तो अपनी सोशल नेट्वर्किंग के लिए . मगर ये बात वो अपनी बीवी को कभी नहीं समझा सका . शायद वो समझना ही नहीं चाहती थी .अचानक बात तू तू मैं मैं और फिर गाली गलौच तक पहुँच गई . वो गुस्से में किसी वैश्या की तरह बात करती. पति की इज्ज़त क्या होती है वो नहीं जानती , शायद उसे किसी ने कभी सिखाया ही नहीं. बात जब बर्दास्त से बाहर हो गई तो दीप ने उठकर रूम का दरवाजा बंद कर लिया . बाहर जाते ही वो और भी जोर जोर से गाली देने लगी . मां बहन की गाली देते वक़्त वो दीप को बहुत बुरी लगती . दीप उसे चुप रहने को कहता तो वो और जोर से चिल्लाती . थक कर दीप कमरा बंद करके काम करने लगा . बहुत देर तक खामोशी रही और इस दौरान दीप को याद ही नहीं रहा कि कुछ हुआ भी था. दरअसल ये रोज़ की बात थी और अब उसे इसकी आदत सी हो गई थी . वो समझकर, डराकर , धमकाकर और यहाँ तक कि पीटकर भी थक चुका था. अचानक दरवाजा पीटने के शोर से दीप चौंक गया. उठकर दरवाजा खोला तो देखा कि सामने एक सिपाही और संजू का रिश्तेदार खडा है .
क्या बात है बे , पीसीआर को फ़ोन क्यों किया था । सिपाही ने पूछा .
जी मैंने तो नहीं किया । दीप ने जवाब दिया.
तूने अपनी बीवी को ज़हर दे दिया है , और अब भोला बन रहा है . सिपाही बोला .दीप को अब उस सन्नाटे की वजह मालूम हुई . इस बीच उसकी बीवी ने ज़हर खाकर पीसीआर को कॉल कर दी थी .
क्या कर रहे हो ? सिपाही ने पूछा जी कुछ ज़रूरी अनुवाद कर रहा हूँ . दीप ने जवाब दिया .
चल सब कुछ बंद कर और हमारे साथ चल . सिपाही ने हुकम सुनाया. जल्दी जल्दी कंप्यूटर बंद करके दीप बाहर निकला . छोटे से बेटे को कहाँ ले जाता इसलिए उसको बीवी के रिश्तेदार के हवाले किया और जीप में जा बैठा. सिपाही दीप की बीवी को भी साथ ले आया और उसे जिप्सी में बिठा लिया . चेहरे से नहीं लग रहा था कि उसने ज़हर खाया है .
क्या बात है , क्यों अपनी बीवी को सताते हो ? सिपाही ने पूछा
ये मुझे रोज़ पीटता है , संजू बोली . जी हाँ वो दीप की बीवी ही थी . देखने में ऐसी कि कोई भी धोखा खा जाए और अंदाजा लगा ले कि बहुत भोली और सीधी है .
पता नहीं सारा दिन किस किस लड़की से चैटिंग करता रहता है . हमें कुछ टाइम नहीं देता . संजू बोली .
दीप को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो गया !
सिपाही ने फिर पूछा -अबे चुप क्यों है ? दीप की तंद्रा टूटी .
जो कुछ हुआ था उसे अब भी यकीन नहीं हो रहा था. जी मुझे बहुत काम रहता है . कोई पक्की नौकरी नहीं है. इधर उधर काम करता हूँ . बाहर ज्यादा न रहूँ , इसलिए घर पे कंप्यूटर ले लिया और रात दिन काम करता हूँ. दीप बोला .
तो इसको पीटता क्यों है ? सिपाही ने पूछा .
जी ये दहेज़ माँगता है - संजू बोली .
उसका झूठ सुनकर दीप दंग रह गया .उसे याद नहीं , कभी उसने दहेज़ की मांग की हो . साधारण शादी की . कुछ सामान नहीं लिया . शायद यही सोचकर दीप के ससुर ने पचास हज़ार रुपए दे दिए थे . मगर वो भी शादी के कई साल बाद . न उसने मांगे और न ही कभी मना किया. मगर वो चुप रहा . अस्पताल आ गया था . जिप्सी रुकी तो सिपाही ने उतरने को कहा . सिपाही संजू को लेकर नीचे उतरा . लेकिन वहाँ जगह नहीं थी ,इसलिए डॉक्टर ने दूसरे अस्पताल ले जाने को कहा . फिर सब जीप में बैठ गए . एम्स के आपात कक्ष में संजू को ले गए और उसको बिठा दिया. अभी कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं था क्योंकि शिफ्ट बदल रही थी . अपनी फोर्मलिटी पूरी करके सिपाही चला गया . दीप को उसने समझा दिया कि डॉक्टर आये तो पर्ची दिखा कर इलाज़ करवा लेना. तब तक संजू के और रिश्तेदार भी आ गए थे. डॉक्टर आया तो संजू का इलाज़ शुरू हुआ. डॉक्टर ने उलटी करवाई तो संजू के पेट से कुछ मटमैला सा निकला . दीप को अब तक यकीन नहीं हो रहा था . अब उसे पता लगा कि संजू ने सचमुच कुछ खा लिया है.
क्यों बे , इसे ज़हर क्यों दिया ? डॉक्टर ने पूछा .
जी मैंने नहीं दिया इसने खुद ही खाया है . दीप ने जवाब दिया .
डॉक्टर ने अलग ले जाकर दीप से पूछा -क्या करते हो ?
जी मैं एक अखबार में काम करता हूँ . दीप बोला
ये हरकत क्यों की , अब हम तुम्हारी खबर छपवायेंगे . डॉक्टर बोला
तुम्हारी बीवी कह रही है कि तुम उसको मारते पीटते हो .
जी नहीं - दीप ने कहा तो क्या वो झूठ बोल रही है ?
डॉक्टर उससे बहुत प्रभावित नज़र आ रहा था . दीप को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे. संजू के कई रिश्तेदार भी वहीं थे , उन सबने उसे समझाया कि पुलिस अब बयान लेने आएगी तो उनको कहना कि कुछ नहीं हुआ . भूल से गलत दवाई खा ली . इतने में पुलिस आ गई .
आते ही हवलदार ने पूछा - कौन है इसके साथ ?जी मैं , ये मेरी बीवी है - दीप बोला .
क्या करता है ? राम सिंह ने पूछा दीप उस हवलदार का नाम देख चुका था . नाम तो राम सिंह था मगर दीप को वो रावण से कम नहीं लग रहा था . ठीक है दूर हटो यहाँ से . राम सिंह ने हुकम सुनाया .दीप कुछ पीछे हट गया . कुछ देर में बयान पूरे हुए तो हवलदार दीप के पास आकर बोला -तेरी बीवी कहती है कि तुम इसे रोज़ पीटते हो . दहेज़ मांगते हो और दूसरी औरतों से चक्कर चलाते हो .
जी ये झूठ बोल रही है - दीप बोला .
चुप बे ! राम सिंह ने दीप को डांट पिलाई .
जी मैं सच कह रहा हूँ . दीप ने समझाने की कोशिश की. मगर हवलदार ने उसकी एक न सुनी . दरअसल वो इसे दहेज़ का मामला समझ रहे थे .संजू के रिश्तेदार दीप को दिलासा दे रहे थे कि कुछ नहीं होगा .मगर दीप सब समझ रहा था कि क्या हो रहा है !उसे पूरी दुनिया फालतू नज़र आ रही थी . लगता था जैसे सब कुछ ख़त्म हो गया .हवलदार सुबह चौकी आने के लिए कहकर चला गया .

अबे चुप क्यों हो गया ? मैं कुछ पूछ रहा हूँ । बिजेंद्र बोला .
जी मैं क्या कहूं ! दीप बोला . कुछ समझ नहीं आता कि क्या कहूं . पिछले कई साल से दिन रात मेहनत करके दो कमरे का मकान लिया . मगर उसे कभी घर नहीं बना सका . बनाता कैसे. वो इसमें होटल की तरह रहती है . जैसे खाने और सोने के लिए ही उसमें रहती हो . काम में कोई मदद नहीं करती . ऊपर से तंग और करती है . कम्प्यूटर पर काम करता हूँ तो समझती है दूसरी लड़कियों से चैटिंग कर रहा हूँ . सब कुछ छोड़कर पीछे बैठ जाती है और जो भी चैटिंग होती है उसे पढ़ती रहती है . न टाइम पर खाना न सोना . जगह जगह काम करके कोई पक्की नौकरी न होते हुए भी मकान ले लिया . पर उसको क्या ?
तो तू उसको टाइम क्यों नहीं देता बे - मोहन बोला.
साले बीवी को पैसा ही नहीं कुछ और भी चाहिए .
जी इसीलिए तो मैंने घर पे काम शुरू किया . दीप ने जवाब दिया .
और कौन कौन हैं यहाँ ? मोहन ने पूछा
जी मेरे सगे हैं मगर मैं उनको बुलाना नहीं चाहता . दीप बोला.
तो ठीक है तुझे बंद कर देते हैं . दोनों सिपाही एक सुर में बोले .
ठीक है मैं भी जेल जाकर खुश हूँ . कम से कम वहाँ रात दिन मरना तो नहीं होगा .और मुझे तो लगता है कि वहाँ मेरी ज़िन्दगी आराम से कटेगी.तब तक राम सिंह भी आ चुके थे. आते ही कड़क कर पूछा
क्या है बे ? क्या चाहता है ?
साहब ये तो कहता है कि बंद कर दो , दीप के कुछ बोलने से पहले ही बिजेंद्र बोला .
तो ठीक है बंद कर दो साले को . राम सिंह ने तैश में आकर जवाब दिया .
मगर साहब ये खुद मजबूर है , और उसने सब बात हवलदार को बता दी .
तो जाने दो इसे , राम सिंह बोला .
लाचार दीप कुर्सी से उठा तो बिजेंद्र बोला
-देख भाई . एक बात सुन . सब कानून औरत के लिए हैं . तेरी कोई नहीं सुनेगा . इसलिए उसे कुछ टाइम दे और आराम से रह .
जी कोशिश करूंगा. कहकर दीप वहाँ से बाहर निकला .
अब उसे लग रहा था कि ज़िन्दगी की आफत से इतनी आसानी से छुटकारा नहीं मिलने वाला . जब तक लिखा है यहीं भागना पड़ेगा . मगर एक बोझ तो उसने उतारने का फैसला कर लिया था . जितनी जल्दी हो सकेगा वो पचास हज़ार रुपये संजू के घर वालों को लौटा देगा क्योंकि दहेज़ का कलंक सर लेकर जीना बहुत मुश्किल है .

Friday, February 13, 2009

तुम

चुप रहकर भी सब कुछ मुझसे कहते हो ,
यार मेरे तुम अब भी दिल में रहते हो ।
खुशियों की बारिश करते हो तुम सब पे ,
अपना गम पर तन्हाँ तन्हाँ सहते हो ।
क़दम मेरे डगमग होते हैं जिस पल भी ,
संबल बनकर साथ मेरे तुम रहते हो ।
सारी दुनिया जब लगती है बेगानी ,
उस पल भी तुम मेरे बनकर रहते हो ।
जो मिलता, गम देकर चल देता है ,
खुशियों के सावन लेकर तुम आते हो ।
मुद्दत गुज़री यूं तो बातें किये हुए,
फिर भी अक्सर संग मेरे तुम रहते हो ।
रिश्ते सारे दुनिया में हैं मतलब के ,
दोस्त तुम ही जो बेमतलब संग रहते हो ।
अपनी मर्ज़ी से कब जलता है प्रदीप ,
तुम ही हो जो मुझको रौशन करते हो .