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Thursday, August 28, 2008

ग़ज़ल

दर्द आँखों में सिमट आया है ,
जाने कौन मुझे याद आया है ।
किस कदर ज़िन्दगी हुई तन्हाँ ,
हमसफ़र है न कोई साया है ।
कुछ तो मेरी खता रही होगी ,
उसने मुझको अगर भुलाया है।
जब बातें नहीं कोई उनसे ,
अपना साया हुआ पराया है।
उम्र भर कौन साथ देता है,
दिल को ऐसे ही अब मनाया है ।
जाने किसकी तलाश में प्रदीप ,
तूने अपना ही दिल जलाया है .

7 comments:

प्रदीप मानोरिया said...

very nice Welcome in blogging world visit me at manoria.blogspot and kanjiswami.blog.co.in you can enjoy my gazal too

Candygram said...

Hello from Chicago! Guess what? I have three Indian male roommates now. They are all well behaved and eager to absorb American culture. I'm not learning much Hindi. LOL

bhawna....anu said...

दर्द आँखों में सिमट आया है ,
जाने कौन मुझे याद आया है ।
किस कदर ज़िन्दगी हुई तन्हाँ ,
हमसफ़र है न कोई साया है ।
bahut sunder.......badhai.

Anonymous said...

bahut achha

sonalkeshabd said...

bohut ache sir..

Dr. Madhuri Lata Pandey (इला) said...

दर्द आँखों में सिमट आया है ,
जाने कौन मुझे याद आया है ।
किस कदर ज़िन्दगी हुई तन्हाँ ,
हमसफ़र है न कोई साया है ।
कुछ तो मेरी खता रही होगी ,
उसने मुझको अगर भुलाया है।

bahut sundar.....shubhkaamanaayein

-Madhuri

Aroma said...

nice
दर्द आँखों में सिमट आया है ,
जाने कौन मुझे याद आया है ।
किस कदर ज़िन्दगी हुई तन्हाँ ,
हमसफ़र है न कोई साया है ।
dard ko bahut khubi se khaha hai app ne ......dard de kar chale jaty hai log..or chood jaty hai yaade.....