जिए जा रहा हूँ तेरी याद में ,
बहला रहा दिल तेरी याद में .
जो गुज़रे हैं पल कभी संग तेरे ,
गिने जा रहा हूँ तेरी याद में .
सुहाना सफ़र वो नहीं भूल पाता,
चला जा रहा जो तेरी याद में .
जां से है प्यारा वो जीवन का ,
पल, जो मैंने जिया है तेरी याद में .
बहुत खूबसूरत शमां है यहाँ, पर;
उससे भी बेहतर, जो तेरी याद में.
बहुत नाज़नीन मैंने देखी यहाँ ,
धड़कता है दिल ये तेरी याद में.
हम छोड़ आये पीछे जो पल,
मचलता है जी क्यों तेरी याद में.
मेरा शेर बेहतर वही है प्रदीप ,
लिखा जा रहा जो तेरी याद में .
5 comments:
"मेरा शेर बेहतर वही है प्रदीप ,
लिखा जा रहा जो तेरी याद में ."
बहुत खूब...प्रेम से परिपूर्ण रचना...
Pradeep ji sabse pehle shukrguzaaree ataa kartee, hausla afzaayee aur zarra nawazee donoke liye..( Kahanee blogpe jo aapne tippanee dee).
Aur jaantee hun, ki tahe dilse dee hai..ek aupcharikta nahee..
"Ek khoya hua din" pe maine ek short film banayi..usme kahaneeka ant sakaratmak kar diya..wo istarahse..jab bijli jatee hai, to nayika moohse awwal to yahee alfaaz nikalte hain," Chalo ek aur din..."adi.
Lekin aakharee scene kuchh istarahse hai nayika kamrese baahar jatee hai..aur lalten leke kamreme prawesh karti hai, tatha uske ujaleme padhne lagti hai...iska "cinematic" effect kaafee saraha gaya...
Mai aapki dono rachnayon pe tippanee dena chah rahee hun..waise sabhi rachnayen, saadgeese paripoorn aur zindageese labrez hain...kahin shab kosh kaa dikhava nahee...anubhavse jo lekhanme saralta aatee, hai, prtateet honeme ek palbhi nahee lagta...
"Kisi Raahpar", is kahaneepe maine ek pratiyogita rakhee thee( mool katha Marathi me hai)..ek ezineke liye, jisme ye prakashit huee thee...is kathake any kaunse "ant" ho sakte hain?
Khaas response nahee mila..khair!
Pata nahee gar, blogpe ye pratiyogita rakhun,to kaisa response milega?
Bhent roopme maine apnee Marathi ki kitaben dee theen...Hindi me to kewal ek hee prakashit hai!
Aapki nihayat sundar tippanee padhke maza aa gaya..!
Phir ekbaar dhanywad..
Kya aap kabhi kabar apki koyi rachna mere "kavita" blogpe post kar sakte hain? Gar nahee bhee kahenge, to mujhe qatayi bura nahee lagega..mai apne swarthse keh rahee thee...jaise ghar baithe koyi cheez haasil ho jay!Ek vinamr prarthnaa maatr hai, pls, ise anytha na len!
http//aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
ye sahee URL hai...
Mere any blogs shayad aapko patahee honge,jaise :
Fiber art
dharohar
paridhaan
baagwaanee
gruhsajja
chindichindi
lalitlekh
lizzat
aadi, aadi..."dharohar" hamare deshke karigaron ko samarpit hai...jo aatmhatya kiye jaa rahe hain...chand hast kalayen to nasht ho chukee hain...
ग़ज़ल पर टिप्पणी के लिए शुक्रिया. आगे कुछ लिखूंगा तो अपने ब्लॉग के साथ आपके कविता ब्लॉग पर भी पोस्ट करने की कोशिश करूंगा . आप मराठी में भी लिखती हैं जानकर अच्छा लगा. मेरा भी एक शगल है कि बहुत सी ज़बान सीखूं लेकिन वक़्त नहीं निकाल पाता . खैर सीखने के लिए कुछ वक़्त निकालने की कोशिश करूंगा.
अब कुछ आपकी कहानी के बारे में -
कहानी के और कैसे अंत हो सकते हैं ? ये जानने के लिए आपको पाठकों का उत्साह नहीं मिला इसका मुझे अफ़सोस है . लेकिन कोशिश करने में क्या हर्ज़ है आप ब्लॉग पर एक प्रयास और कीजिये .आपकी कहानी लोग पढ़ते हैं तभी तो इतने कमेंट्स आते हैं इसलिए उम्मीद है कि यहाँ आपको निराशा नहीं होगी . जहां तक एक खोया हुआ दिन की बात है - ये सच है कि कहानी का अंत सकारात्मक होना चाहिए मगर मेरा निजी तौर पर मानना है कि उसे सच के निकट होना चाहिए . खैर इस बारे में सबके अलग अलग विचार हो सकते हैं और होने भी चाहिए.
आपने फिल्म का नाम नहीं बताया ! मौका मिला तो मैं भी देखना चाहूँगा ! वैसे चलो एक और दिन भी अच्छा अंत है .
अब कुछ उस लिंक के बारे में जो आपने बताया था . सरसरी तौर पर देखा है कुछ पढ़कर टिप्पणी करूंगा अभी बस इतना ही कि - काफी आकर्षक है . ..........
प्रसन्न जी हौसला अफ़जाई के लिए शुक्रिया !
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