हिंदी दिवस क्यों ? शीर्षक देखकर आप ज़रूर सोचने लगे होंगे कि कैसा पागल है ? कैसा हिंदी विरोधी है ? लेकिन साल में केवल एक दिन हिंदी दिवस या एक पखवाड़े को हिंदी पखवाड़े के रूप में मना कर आपको ऐसा नहीं लगता जैसे कनागत मना लिए हों। मतलब एक दिन याद करो और भूल जाओ।
हिंदी दिवस हो या किसी की पुण्यतिथि या जयंती ऐसे सभी दिवस मनाने के बाद क्या वो हमें याद रहते हैं ? बिलकुल नहीं , तो फिर इसकी बधाई कैसे दी जा सकती है ?
क्या इस देश में कभी अंग्रेजी दिवस मनाया जाता है ? फिर भी देखो कितनी फल-फूल रही है।
तो अगर सचमुच हिंदी की प्रगति चाहते हैं तो क्यों न ऐसा किया जाए जिससे हमें दिवस मनाने की ज़रुरत ही न पड़े।
क्या करें
१- हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग करें
२- हिंदी बोलने में शर्म अनुभव मत करें
३- हिंदी को सरकारी नौकरी में अनिवार्य बनाने के लिए संघर्ष करें
४- सरल हिंदी का प्रयोग करें
५- राजभाषा विभाग की मुश्किल हिंदी का विरोध करें
६- हिंदी में मौलिक लेखन को बढ़ावा दिया जाये
७- सभी सरकारी कामकाज हिंदी में हो
८- न्यायपालिका हिंदी और स्थानीय भाषा में काम करे
९- अनुवाद को प्रोत्साहन दिया जाये
१०- हिंदी को उसका सम्मान दिलाने की शुरुवात खुद से करें
हिंदी दिवस हो या किसी की पुण्यतिथि या जयंती ऐसे सभी दिवस मनाने के बाद क्या वो हमें याद रहते हैं ? बिलकुल नहीं , तो फिर इसकी बधाई कैसे दी जा सकती है ?
क्या इस देश में कभी अंग्रेजी दिवस मनाया जाता है ? फिर भी देखो कितनी फल-फूल रही है।
तो अगर सचमुच हिंदी की प्रगति चाहते हैं तो क्यों न ऐसा किया जाए जिससे हमें दिवस मनाने की ज़रुरत ही न पड़े।
क्या करें
१- हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग करें
२- हिंदी बोलने में शर्म अनुभव मत करें
३- हिंदी को सरकारी नौकरी में अनिवार्य बनाने के लिए संघर्ष करें
४- सरल हिंदी का प्रयोग करें
५- राजभाषा विभाग की मुश्किल हिंदी का विरोध करें
६- हिंदी में मौलिक लेखन को बढ़ावा दिया जाये
७- सभी सरकारी कामकाज हिंदी में हो
८- न्यायपालिका हिंदी और स्थानीय भाषा में काम करे
९- अनुवाद को प्रोत्साहन दिया जाये
१०- हिंदी को उसका सम्मान दिलाने की शुरुवात खुद से करें
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