तुम न होती तो मैं किधर जाता ,
रेत के घर सा मैं बिखर जाता .
मेरा वजूद न होता जग में ,
किसी ज़र्रे में ही नज़र आता .
तुम मेरी राह ,मेरी मंजिल हो .
बिन तेरे कब का मैं बिखर जाता .
तुमने फिर से मुझे संभाला है ,
वरना सेहरा में ही भटक जाता .
ना कोई मैल होता इस दिल में ,
प्यार से जो तेरे ये भर जाता .
तेरी चाहत में ही रहा जिंदा ,
वरना प्रदीप कब का मर जाता .
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