बच्ची को जनने की पीड़ा , कमसिन माँ बनने की पीड़ा ।
बचपन को खोने की पीड़ा ,को बोलो तुम क्या लिखोगे ?
हूँ तुम मुझपे कविता लिखोगे !
कोख मेरी बसने से पहले ,वो उसका सौदा कर बैठा ।
बच्ची या बच्चा हो कुछ भी ,देने का वादा कर बैठा ।
मेरे गम से मूँद के आँखें ,औरों का गम उसको भाया ।
कोख मेरी और वादा उसका , जी हाँ मैंने नहीं निभाया ।
यूँ तो मैं सब कुछ सह लेती , पर बच्ची देना ना भाया ।
कुछ पाने की खुशियाँ और सब कुछ खोने की पीड़ा
को शब्दों मैं क्या लिखोगे ? कैसे तुम कविता लिखोगे ।
हूँ तुम मुझपे कविता लिखोगे !
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