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Monday, September 22, 2008

ग़ज़ल

मेरी सुबह तुमसे मेरी शाम तुमसे ,
अब है ज़िन्दगी का हर काम तुमसे ।
तुझे देखता हूँ तो लगता है ऐसे ,
कि बरसों से अपनी है पहचान तुमसे ।
धड़कता है दिल तो तेरा नाम आये ,
लो अब जुड गया है मेरा नाम तुमसे ।
हर एक शै में तेरा नज़र अक्श आये ,
अब आगाज़ तुमसे और अंजाम तुमसे ।
अब ये दिल भी तेरा, है प्रदीप तेरा ,
सिवाए मोहब्बत के न कुछ काम तुमसे .

2 comments:

Dr. Madhuri Lata Pandey (इला) said...

nice one......padh kar achchhaa lagaa...

-Madhuri

Vikram Pratap Singh said...

आगाज़ तो होता है अंजाम नही होता

बिन तेरे आब कोई भी काम नही होता