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Monday, April 20, 2009

उनकी तारीफ़

उनका चेहरा गुलाब जैसा है ,
उनका हुस्न महताब जैसा है .
धूप की क्या उन्हें ज़रुरत है ,
वो तो खुद आफताब जैसा है .
उनसे क्यों कर सवाल मैं पूछूं ,
वो तो खुद ही जवाब जैसा है .
कहाँ तक जफा का ज़िक्र करुँ ,
ये तो सारा समाज ऐसा है .
हाय उनकी मिसाल किस से दूं ,
वो तो खुद लाजवाब जैसा है .
क्या कहूं कि वो फूल कैसा है,
मुझको लगता गुलाब जैसा है.
कैसे उनको बनाया कुदरत ने ,
वो मेरे हसीन खाब जैसा है .
हर तरफ आज उनके चर्चे हैं ,
वो किसी महव- ऐ- खाब जैसा है.
क्या दिखेगा उसके आगे प्रदीप ,
उनका चढ़ता शबाब ऐसा है .

Saturday, April 04, 2009

मैं और मेरी धड़कन

रखूंगा अपने दिल में तुम्हें धड़कन की तरह,
धड़का सदा करोगी मेरी धड़कन की तरह .
मुश्किल हो कि आसां हो जैसी भी घड़ी हो,
रखूंगा तुम्हें अपने साथ दर्पण की तरह .
कहने को तो हम बेशक़ न साथ रहेंगे ,
पर साथ सदा होंगे हमसाए की तरह .
कोई साथ नहीं रहता ता हस्र भले लेकिन,
हम साथ रहेंगे सदा किसी खुशबू की तरह .
जब तपती दुपहरी में साया भी न दे साथ ,
दो जिस्मों में होंगे हम एक जान की तरह .
क्यों डर हो बिछुड़ने का तुमसे मुझे हर पल,
जब आन बसी दिल में धड़कन की तरह .
इस दौर के इन्सान तो हो गए मशीन ,
खा जाते हैं रिश्तों को इंधन की तरह .
ये कैसी हवा अब के इस शहर में आई ,
क्यों दोस्त भी लगते हैं दुश्मन की तरह .
तुमको मेरी उल्फत पे ऐतबार नहीं लेकिन ,
क्यों उसको दिखाऊँ किसी फैशन की तरह.
माना कि अन्धेरा है इस जीवन में बहुत ,
प्रदीप संग जलेगा शमां-ऐ-रोशन की तरह .