हम कहते हैं  एक नई शहर उसको ,
आप कहती हैं गुमशुदा डगर जिसको.
एक  दास्तान -ऐ- ज़िन्दगी  है  वो, 
आप कहती हैं फ़क़त मुख्तसर जिसको .
मुसलसल  बहती एक  नदी  है वो,
आप कहती हैं गुमशुदा नहर जिसको.
खुदा और दोस्तों का है करम बेशक,
लोग कहते हैं आपकी ज़बर उसको .
खुदा करे अविरल यूं ही  बहती रहे ,
आप कहती हैं फ़क़त नहर जिसको .
आपके दिल से जो पीर निकली है,
लोग कहते हैं आपकी नज़म उसको .
आपकी आला कलम से जो निकला है ,
प्रदीप  झुकाता है  अपना सर उसको .
![[lock2.bmp]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhXgUWgEg5i7Hjk49lYgKlp2Wns2wHjtEylFNmlRZ2PA9hhdWx9zV9uap5jRaXgwEUeZr9KSsdj_Nf9NnD7yEekcZuD5uy4_-BwhPrpiqTld3U1wsy4Q-c_DrDYwIk6yN7SGfBvz97qprY/s1600/lock2.bmp) 
 
 
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