रावण की मुक्ति
रावण !
आज दशहरे के बाद भी नहीं जला ,
क्योंकि आज उसे राम ने नहीं .
एक पापी और भ्रष्टचारी ने जलाने के लिए
तीर चलाया तो उसका तीर
रावण तक पहुंचा ही नहीं .
जब तक बाकी लोग रावण
को जलाने के लिए तीर चढ़ाते ,
रावण बोल उठा - ठहरो !
कई सदियों से तुम हर साल
मुझे जलाते हो ,
लेकिन मैं आज तक नहीं मरा .
और हैरत तो ये है कि तुमने राम
की तरह मेरे बार बार जीने का कारण
भी जानना नहीं चाहा .
यह सुनकर भीड़ को सांप सूंघ गया
मगर फिर सब हिम्मत करके बोले -
किससे पूछें ?
अब विभीषण भी तो नहीं है .
रावण बोला - तो अब तक भी तुम वहीं जी रहे हो .
अब कोई विभीषण नहीं आएगा
तुमने राम को भी नहीं जीने दिया .
तो विभीषण किस खेत की मूली है .
लेकिन मुझे तुम पे बहुत दया आ रही है
सदियों से तुम्हारी परेशानी मुझसे सहन नहीं होती
मैं खुद अब बार बार जीने से उकता गया हूँ .
क्योंकि राम की धरती के आधुनिक रावण
मुझ ज्ञानी को चिढाने लगे हैं
राम तो हैं नहीं रावण ही मुझे जलाने लगे हैं
फिर मैं कैसे जलूँगा ?
सुनो ! अगर मुझे सचमुच जलाना चाहते हो
तो जिन पापियों और भ्रष्टाचारियों को
मुझे जलाने के लिए बुलाते हो ,
अबकी बार उन्हें जलाओ .
एक बार वो खत्म हो गये
तो रावण भी जल जाएगा और
मुझे भी मुक्ति मिल जाएगी .
![[lock2.bmp]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhXgUWgEg5i7Hjk49lYgKlp2Wns2wHjtEylFNmlRZ2PA9hhdWx9zV9uap5jRaXgwEUeZr9KSsdj_Nf9NnD7yEekcZuD5uy4_-BwhPrpiqTld3U1wsy4Q-c_DrDYwIk6yN7SGfBvz97qprY/s1600/lock2.bmp) 
 
 
1 comment:
In bhrashtacharion ko kaun jalayega?
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