1-
मैं    जिस     मकान मैं रहता हूँ उसे     घर नहीं कहते ,
ईंट  पत्थर की    दीवारों    को कभी    घर   नहीं  कहते .
चाँद रिश्तों को निभाने के लिए लाजिम हैं दो चार शख्स ,
बिन रिश्तों के मकान     को      कभी   घर नहीं कहते .
ईंट पत्थर के बियांबान जंगल हैं हमारे ये शहर ,
मकान काफी हैं यहाँ लेकिन कहीं घर नहीं रहते .
हो सकता है कि आखिर के सिवा आगाज़ हो  ये ,
हलके से धुंधलके को    सदा      सहर नहीं कहते .
2-
चुपके चुपके  सबसे  छुपके कोई  मुझसे कहता  है,
मुश्किल में तू दिल की  सुनना कोई मुझसे कहता है.
भूल ना जाना सारे रिश्ते , बेरिश्तों  के जंगल में ,
दिल का रिश्ता सबसे प्यारा कोई मुझसे कहता है .
![[lock2.bmp]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhXgUWgEg5i7Hjk49lYgKlp2Wns2wHjtEylFNmlRZ2PA9hhdWx9zV9uap5jRaXgwEUeZr9KSsdj_Nf9NnD7yEekcZuD5uy4_-BwhPrpiqTld3U1wsy4Q-c_DrDYwIk6yN7SGfBvz97qprY/s1600/lock2.bmp) 
 
 
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