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Tuesday, February 26, 2008

नए दोस्त के लिए

jआने वो कौन सी दुनिया में बैठे हैं ,
रूबरू मेरे मगर और कहीं बैठे हैं .
जाने किसलिए बुत वो बने बैठे हैं ,
कुछ तो है जो इतने ताने बैठे हैं ।
उठ रहे हैं दिल में तूफ़ान कई ,
रूबरू मेरे शांत भले बैठे हैं ।
कुछ तो आएगा सारे सवालों का जवाब ,
बस यही सोच के हम भी यहीं बैठे हैं ।
कुछ तो है जो उनके होटों पे लरजना चाहे ,
बस यही सोच के हम भी यहीं बैठे हैं ।
एक मुद्दत से दिल जलाकर प्रदीप
हम भी हाले दिल सुनने के लिए बैठे हैं .

2 comments:

Anonymous said...

आप तक चिट्ठाजगत.इन द्वारा पहुँचा। आप अच्छा लिखते हैं।

Pradeep Kumar said...

bahut achchhi baat hai. kya apne baare main aur nahi bataaoge. abke message ka jawab do ya meri naie rachna par kuchh comments karna chaaho to e mail follow up pe click kar dena. kyoki mere yahaan aap sirf anonymous ke roop main dikhte ho.