lock2.bmp (image) [lock2.bmp]

Friday, July 18, 2008

मुक्तक

1-
जानिबे नई शहर नज़र उठा ,
नज़र उठा ज़रा मुस्कुरा .
जो गुज़र गया उसे भूल जा ,
उसे भूल जा ज़रा मुस्कुरा .
2-
कुछ रिश्ते बेनाम रहे तो अच्छा है ,
कुछ काम बेंजाम रहे तो अच्छा है .
अपने मुकाल्मे में ऐ हमदम ,
बस तेरा - मेरा नाम रहे तो अच्छा है .
ओट में जिनके हो दगा हासिल ,
ऐसे रिश्तों से अनजान रहे तो अच्छा है .

No comments: