मुक्ति चाहता हूँ मैं 
रिश्तों के जंजाल से , ज़िन्दगी के जाल से .
हाल के बेहाल से , बेबसी के जाल से .
दर्द से मलाल से मुक्ति चाहता हूँ मैं .....
सब तरफ फरेब है , फरेब ही फरेब है .
स्वार्थी मनुष्य है , स्वार्थ ही स्वार्थ है . 
इस फरेब औ एब से , मनुष्य के स्वार्थ से .
मुक्ति चाहता हूँ मैं -------
जो तुम्हें दिया हुआ , उससे हूँ बंधा हुआ .
कौल वो अमोल है , घुटन भरा माहौल है .
सांस कुंद कुंद से, इस घुटन की जिंद से .
मुक्ति चाहता हूँ मैं ........
कसमसाहट है बहुत , छट पटाहट है बहुत .
आजकल इस मन में कस मसाहट है बहुत .
जिससे हूँ बंधा हुआ , उस वचन को फेर लो .
आज उस वचन से बस   . मुक्ति चाहता हूँ मैं ........
सुलग रहा है तन मेरा , जल रहा बदन मेरा .
क्रोध की अगन में आज, उबल रहा बदन मेरा .
उस वचन से , इस अगन से , मुक्ति चाहता हूँ मैं ....
काम में लगे नहीं , घर में भी लगे नहीं .
आज इस जहान में , कुछ मुझे जांचे नहीं .
इस सुलगती आग से , अपने फूटे भाग से .
मुक्ति चाहता हूँ मैं .........
कल तलक सभी को जो , सिखा रहा था ज़िन्दगी .
आज उसी शख्स को , सिखा रही है ज़िन्दगी .
इस सीखने सिखाने से , और इस ज़माने से .
मुक्ति चाहता हूँ मैं .........
मुक्ति चाहता हूँ मैं ...............
![[lock2.bmp]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhXgUWgEg5i7Hjk49lYgKlp2Wns2wHjtEylFNmlRZ2PA9hhdWx9zV9uap5jRaXgwEUeZr9KSsdj_Nf9NnD7yEekcZuD5uy4_-BwhPrpiqTld3U1wsy4Q-c_DrDYwIk6yN7SGfBvz97qprY/s1600/lock2.bmp) 
 
 
1 comment:
Kis baat se mukti chahte hai aap? In choti choti baaton mein hi to zindgai ka saar hai. Jitni mili hai usse hans k hi guzara jaye, kyu theek hai na...
Post a Comment