चुप की ज़बां कभी समझी तो होती ,
मेरे दिल की हालत समझी तो होती .
तेरा रूठ जाना भी वाजिब है लेकिन ,
ज़रा मेरी मुश्किल भी समझी तो होती .
दिखावा मोहब्बत में न आता है मुझको,
जो हालत थी दिल की समझी तो होती . 
हजारों तमन्ना बसी  मेरे दिल में ,
कोई खाहिश तुमने भी समझी तो होती .
बहुत सारे  अरमां थे मेरे दिल में ,
तुमने किसी की कद्र की तो होती .
तुम्हारे लिए ही धड़कता है ये दिल ,
कभी धड़कने भी समझी तो होती . 
मोहब्बत के सावन बरसते हैं सब पे ,
कोई बारिश मुझपे भी बरसी तो होती .
तमन्ना मचलकर बयां हो ही जाती ,
ज़रा सी हवा जो दी तुमने  होती .
मुलाक़ात तुमसे और जी भर के बातें ,
कहाँ मेरी किस्मत हकीकत ये होती .
ये दिल चाहता है बहुत तुमसे कहना ,
ज़बां से कोई बात निकली तो होती .
मोहब्बत तो करता  है  प्रदीप तुमसे ,
तपिश उसकी तुमने भी समझी तो होती .
![[lock2.bmp]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhXgUWgEg5i7Hjk49lYgKlp2Wns2wHjtEylFNmlRZ2PA9hhdWx9zV9uap5jRaXgwEUeZr9KSsdj_Nf9NnD7yEekcZuD5uy4_-BwhPrpiqTld3U1wsy4Q-c_DrDYwIk6yN7SGfBvz97qprY/s1600/lock2.bmp) 
 
 
1 comment:
प्रदीप जी,
जय हिंद
आपने मेरा ब्लॉग पढ़ा ,धन्यवाद .आपकी बच्ची को जटामांसी का काढा एक हफ्ते पिलाना पडेगा फिर बच की १/४ ग्राम मात्र दो दिनों तक खिलानी होगी .वह एकदम ठीक हो जायेगी अगर तकलीफ न हो तो फोन पर मुझे विस्तार से बता दें न०. ब्लॉग में है
आपने ghazal लिखने की behatreen कोशिश की है लेकिन कुछ panctiyaan matraon से baahar हैं kripyaa buraa मत maniyegaa .
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