सूनी अंधियारी रातों में गुम हुई वो नन्ही गुडिया ।
भूल गई सब उछल-कूद अब ,क़ैद हुई वो छोटी चिडिया ।
सारी खाहिश दूर हुई हैं सपने चकना चूर हुए हैं ।
रंग नही कुछ इस जीवन में ,बेरंग है ये सारी दुनिया ।
मतलब की ये सारी दुनिया ,लगती है बेगानी दुनिया ।
अपना नही नज़र आता है ,सपना भी अब गैर लगे है ।
छोटी सी चिडिया को अब ,सारे जग से बैर लगे है ।
दिल के इक कोने में लेकिन , इक हसरत है अब भी बाकी ।
दर्द-ओ -गम के इस आलम में ,अब भी है कुछ ज़िंदा बाकी ।
तोड़ के इन सारे पिजरों को ,दूर गगन में मैं उड़ जाऊं ।
सब कुछ हो रंगीन वहाँ पर , इन्द्रधनुष पे मैं इठलाऊँ ।
टूटे सपने , छूटे अपने ,जिंदा हसरत , रंग की चाहत 
को शब्दों  मेंक्या लिखोगे?  हूँ ! तुम मुझपे कविता लिखोगे 
![[lock2.bmp]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhXgUWgEg5i7Hjk49lYgKlp2Wns2wHjtEylFNmlRZ2PA9hhdWx9zV9uap5jRaXgwEUeZr9KSsdj_Nf9NnD7yEekcZuD5uy4_-BwhPrpiqTld3U1wsy4Q-c_DrDYwIk6yN7SGfBvz97qprY/s1600/lock2.bmp) 
 
 
No comments:
Post a Comment