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Tuesday, March 04, 2008

हूँ ! मुझपे कविता लिखोगे -2

सब जब मुझको सजा रहे थे
गहने कपड़े पराह रहे थे ।
अच्छा है कुछ होने वाला ,
कुछ लक्षण ये बता रहे थे ।
मैं भोली नादाँ ना समझी ,
आफत की पहचान ना समझी ।
कि अंधड़ ओ तूफान से पहले ,
।थोडी सी बूँदें आती हैं ।
अनहोनी होने से पहले ,
हमसे कुछ कहना चाहती हैं ।
आने वाले गम की आहट,
खुशियों के खोने की सासत ,
को शब्दों में क्या लिखोगे ?
हूँ ! तुम मुझपे कविता लिखोगे

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